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Tuesday, 8 March 2011

तू नारी नारायणी

तू नारी नारायणी तेरे अनगणित है रुप
कभी ममता की दायणी कभी चण्डी स्वरुप
तू नारी नारायणी तेरे अनगणित है रुप........

तू ही इस जग में जीवन दायणी तू ही त्याग की परिचायका
तू नारी नारायणी तेरे अनगणित है रुप.............

कभी तू ने मां बनकर हम सब का जीवन है तारा तो कभी बहना बनकर पग-पग पर तूने हमको है संभारा
तू नारी नारायणी तेरे अनगणित है रुप...........

कभी मित्र बनकर जीवन के हर क्षण में तूने दिया सहारा
तो कभी जीवन साथी बनकर तू अपना सब कुछ हम पर है न्यौक्षारा
तू नारी नारायणी तेरे अनगणित है रुप............

तेरे बलिदान को कोटी कोटी नमन है
जो न समझे तेरे वैभव को व सबसे बड़ा निर्धन है
तू नारी नारायणी तेरे अनगणित है रुप........

तू जितनी तेजस्वनी होगी उतना ही जग चमकेगा
सही मान्ये में तेरे ही प्रगति से ये सारा गुल महकेगा
तू नारी नारायणी तेरे अनगणित है रुप तू नारी नारायणी तेरे अनगणित है रुप।

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