दंतेवाडा में घटित घटना एक बार फिर से यह साबित कर दिया है की माओवाद या नक्सल
वाद न सिर्फ भारत की लोकतान्त्रिक
व्यवस्था अपितु मानव समाज के लिए खतरनाक
है। दंतेवाडा में जिस
प्रकार उन्होंने जवानों को मारा है वह उनके
हिंसक अमानविये कायरतापूर्ण
वयव्हार को दर्शता है। दंतेवाडा की घटना के बाद अब ये तो साफ हो गया की मओवादियो के साथ बात चित का रास्ता संभव नहीं है साथ ही अब सरकार को निर्णायक लड़ाई के लिए तैयार होना होगा लेकिन इसके भी दो पहलु है एक ओर जंहा हमे नक्सलियों का सफाया करना है उन्ही दूसरी ओर नीतियों का निर्धारण इस प्रकार हो जिससे आम जनता (आदिवासिओ ) को किसी प्रकार नुकसान न हो साथ ही उने मुखधारा में वापस लाया जा सके। आखिर कंही न कंही सरकार की आर्थिक नीतियों में चुक कारन है की नक्सली आम आदिवासियों पर हाबी हो गए।
अगर हमे नक्सलियों को मात देनी है तो हमे उनके मनोबल को तोडना होगा इसके लिए जरुरी है की सबसे पहले जो सहायता व समर्थन उन्हें समाज से मिल रहा है उस पर अंकुश लगाया जाये।
दंतेवाडा में मओवादियो द्वारा हमले में मारे गए भारत के अमर सपूतो को सत सत नमन
अमर सपूतो का बलिदान याद रखेगा हिंदुस्थान
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